लॉक डाउन में लोकप्रिय हुए ' लूडो ' का रोचक इतिहास | Ludo Game Interesting Facts In Hindi | Ludo Game history in Hindi

' लूडो ' का रोचक इतिहास ( Ludo Game History In Hindi )-

     लूडो एक ऐसा खेल है जिसका नाम सुनते ही हम बचपन की यादों में चले जाते हैं, यह कैसा गेम है जिसे बच्चे ही नहीं बल्कि हर उम्र के लोग खेलना पसंद करते हैं | पहले जब स्मार्टफोन नहीं आए थे, तब लोग अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ खाली वक्त में यह गेम खेला करते थे, पर जैसे-जैसे टेक्नॉलॉजी का विकास हुआ |वक्त के साथ इस गेम का मिजाज भी बदल गया | स्मार्टफोंस और हजारों हाई फाई गेमस की भीड़ में यह पारंपरिक खेल कहीं खो गया था, पर कहते हैं ना कि इतिहास अपने आप को दोहराता है |

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 वर्तमान में भी कुछ ऐसा ही हुआ है, दरअसल लॉकडाउन के चलते करोड़ों लोग अपने घरों में बंद रहने को मजबूर है | ऐसे में अपना समय गुजारने के लिए लोगों ने फिर से इस पारंपरिक लोकप्रिय खेल को खेलना शुरू कर दिया है और आज फिर से लूडो लोगों का पसंदीदा गेम बन चुका है | 

इसी बीच लूडो से संबधित कई मजेदार किस्से और खबरे सामने आयी हैं उसी में से एक खबर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से हैं जहां पिता द्वारा लूडो गेम में चीटिंग करने पर बेटी ने अपने ही पिता पर भोपाल परिवार न्यायलय में केस लगा दिया हैं। 24 साल की बेटी का आरोप हैं की उनके पिता ने लूडो खेलने के दौरान गेम में चीटिंग की हैं। महिला ने कहा की उसने अपने पिता के लिए सम्मान खो दिया हैं क्यूंकि वह उन्हें हराने के लिए गयी थी। उसे लगता है कि उसके पिता को उसकी खुशी के लिए खेल में हार जाना चाहिए था।   

आपको बता दें कि खेल हजारों साल पुराना है इसका एक लंबा इतिहास रहा है और इसके भिन्न - भिन्न नाम और स्वरूप भी इतिहास में दर्ज है तो चलिए जानते हैं इस प्राचीन खेल के रोचक इतिहास को | 

लूडो का इतिहास ( History of Ludo Game) -

 बहुत से पश्चिमी देश दावा करते हैं कि लूडो के खेल का आविष्कार उन्होंने किया है परंतु इस खेल का संबंध प्राचीन भारत से है | "लूडो" एक लैटिन भाषा का शब्द है जिसका मतलब है "आई प्ले "( I Play ) | यह खेल कई देशों में प्रचलित है और अलग-अलग नामों से जाना जाता है भारत में इस खेल को "पच्चीसी" के नाम से जाना जाता है | ऐसा माना जाता है कि पच्चीसी को छठी शताब्दी में भारत में ही बनाया गया था भारत में इस खेल के विकास के शुरुआती सबूत एलोरा की गुफाओं पर बने बोर्डों के चित्रों के रूप में मिले हैं यदि हम खेल की जड़ों को ढूंढने जाएं तो हमारे सामने आती है पौराणिक महाकाव्य महाभारत कि वह घटना जिसमें पांडवों ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया था लूडो को उस समय पच्चीसी या चोपड के नाम से जाना जाता था महाभारत के युद्ध का कारण भी यही खेल था |  सिर्फ महाभारत में ही नहीं बल्कि हिंदू पौराणिक कथाओं में भी इसका उल्लेख मिलता है | 

  पच्चीसी से संबंधित कई हिंदू देवी-देवताओं की कहानियां प्रचलित हैं एक उदाहरण में श्रीकृष्ण खेल सत्यभामा के साथ खेलते हुए नजर आए हैं |  एक मत तो यह भी है कि यह खेल कैलाश पर्वत पर माता पार्वती, शिव जी के साथ खेला करती थी | मध्यकालीन इतिहास में पच्चीसी का सबसे बड़ा उल्लेख हमें मिलता है सोलवीं सदी में मुगल सल्तनत के सबसे प्रभावशाली राजा अकबर के दरबार में, उन्होंने फतेहपुर सीकरी के दरबार में एक विशाल पच्चीसी के बोर्ड का निर्माण करवाया था जहां वे अपनी दासियों को खेल में प्यादों के रूप में इस्तेमाल करते थे और शानदार तरीके से पच्चीसी के खेल का लुत्फ उठाते थे |

 इस खेल पर किए गए शोधों के अनुसार खेल लगभग 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है अकेले मैसूर में ही ये खेल 10 तरीकों से खेला जाता है तो आप सोच सकते हैं कि पूरे भारत में ये कितने तरीकों से खेला जाता होगा |    इस खेल के 15 से 20 अलग-अलग नाम है हम इसे पगड़े, पच्चीसी, चौपड़, चौसर, दाए कटम , सोकटम और व्रजेश आदि नामों से भी जानते हैं | पच्चीसी में आमतौर पर चार खिलाड़ी खेलते हैं परंतु दक्षिण के राजा की बदौलत इस खेल में कई बदलाव आए | 19वीं सदी में मैसूर के राजा कृष्ण राज वाडियार तर्तीय की चार पत्निया थी और 22 से भी अधिक दसिया थी | वे अपनी सभी पत्नियों के साथ पच्चीसी का खेल खेलते थे इसीलिए उन्होंने छह खिलाड़ियों वाला पच्चीसी का बोर्ड बनाया और आगे चलकर उन्होंने 8,12 और 16 खिलाड़ियों वाले पच्चीसी का निर्माण करवाया | ताकि वह अपनी सभी दसियो के साथ ही यह खेल खेल सके |

  महाराजा वाडियार सिर्फ यहीं नहीं रुके उन्होंने इस खेल में कई और भी बदलाव कीये | पच्चीसी के बोर्ड पर उन्होंने नैतिकता जोड़कर, इस खेल का रुप ही बदल दिया उसमें अलग-अलग पायदान पर कर्मों के अनुसार मनुष्य के अगले जन्म की कल्पना की गई थी | जैसे यदि आप अच्छे कर्म करते हैं तो आपको अगले जन्म में राजसिहासन प्राप्त होगा | महाराजा वाडियार ने इस खेल को धर्म और चरित्र से जोड़ दिया था | 

1896 में अंग्रेजों ने इस खेल में काफी बदलाव किए उन्होंने इस खेल में प्रयोग किए जाने वाले पासे को एक क्यूब     ( Cube ) का आकार दे दिया था जिसे वह एक कप की सहायता से लुढ़काते थे | बाद में इंग्लैंड में इसे लूडो के नाम से पेटेंट करा लिया गया | मिस्र में भी पच्चीसी की तरह एक गेम प्रचलित था  जिस तरह आज हम लूडो खेलते हैं ठीक उसी तरह वो एक खेल खेला करते थे फर्क इतना है कि लूडो में हम डाइस फेंकते हैं और वह छोटी-छोटी लकड़ीया फेंकते थे और वह अपनी चाल चलते थे | इस खेल का नाम था सी नेट | 

आपको जानकर हैरानी होगी कि ये खेल सालों साल चलता था | उससे भी बड़ी हैरानी की बात तो यह थी कि खेलने वाला भी इसे खेलते हुए ऊबता नहीं था | सी नेट भी एक बोर्ड गेम था | इसके अवशेष प्राचीन मिस्र की कई कब्रों से प्राप्त हुए हैं इसके अलावा इस खेल को कई चित्रों में प्राचीन राजा रानियों द्वारा खेलते हुए भी दिखाया गया है |

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आपका पसंदीदा गेम कोनसा हैं, जो आपने लॉक डाउन के दौरान बहुत खेला हैं ? 

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