भारत का पहला चुनाव - First Election of India In English
First Free Election of Independent India / Political History of India - In hindi
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First Free Election of Independent India -
आजाद हिंदुस्तान का पहला चुनाव कैसा था, यह शायद हम आप में से ज्यादातर लोगों ने ना देखा हो ,लेकिन लंबी लड़ाई के बाद मिली लोकतंत्र की यह जीत थी बहुत खूबसूरत | उस वक्त अंधेरी रातों से बाहर आई जनता ने पहली बार लोकतंत्र का सुनहरा चेहरा देखा था | कुशासन पर सुशासन की विजय हुई थी, और लोकतंत्र ने एक बार फिर से इतिहास रचा था |
तब से अब के चुनाव में काफी बदलाव आ गए हैं अशिक्षा और गरीबी जैसे मामले पहले आम चुनाव के मुकाबले काफी बेहतर है | मतदान पेटियों की जगह ईवीएम मशीने आ गयी है ,और संचार के तौर-तरीके भी काफी बदल गए हैं , वैसे तो भारत में चुनाव की शुरुआत आजादी मिलने के पहले ही शुरू हो गयी थी ,लेकिन आजाद भारत का पहला चुनाव 1951 से 1952 के बीच हुआ था 1935 में अंग्रेजों ने भारत को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट के तहत चुनाव कराने का अधिकार दिया था |
1937 में पहली बार भारत में प्रांतीय सभाओं के चुनाव हुए, लेकिन ये चुनाव अंग्रेजों के अधीन हुए थे इसलिए इसे भारत के पहले चुनाव के रूप में नहीं देखा जाता | 1937 में हुए चुनाव के 2 साल बाद ही द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया था, भारतीय आवाम की मंजूरी के बिना ही ब्रिटिश सरकार ने भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में धकेल दिया था 1945 द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो चुका था, तमाम आंदोलनों और दुष्वारियों के बाद भारत को आजादी मिलनी थी, लेकिन अंग्रेज अधिकारी भारत को आजाद करने से पहले भारत में एक संविधान चाहते थे |
ताकि भारत आजाद होने के बाद इसी आधार पर शासन करें | जुलाई 1946 ये वो तारीख है जब भारतीय संविधान सभा के लिए पहली बार चुनाव हुए | संविधान सभा के चुनाव के बाद 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई सभा के सबसे उम्रदराज सदस्य रहे डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थाई अध्यक्ष बनाया गया | बाद में 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त किया गया | उस वक्त मुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार किया था और अपने लिए अलग से संविधान सभा की मांग की | 15 अगस्त 1947 देश विभाजन के बाद संविधान सभा के एक बार फिर से गठन हुआ था, यह गठन 31 अक्टूबर 1947 को हुआ जिसमे में संविधान सभा के लिए कुल 299 सदस्यों को चुना गया संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को अपना सारा काम पूरा कर लिया था | इसके बाद 26 जनवरी 1950 से संविधान को पूरे भारत में लागू कर दिया गया |
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भारतीय संविधान में आर्टिकल 324 से 329 के बीच लगभग पूरी चुनाव प्रक्रिया का जिक्र है | आजादी मिलने के बाद भारत में संविधान की इन्हीं नियमों के मुताबिक चुनाव होते रहे हैं, उस वक्त भी संविधान के इन्हीं नियमों के मुताबिक चुनाव होने थे | पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण भारत के इलाकों में चुनाव कराना कोई आसान काम नहीं था, अशिक्षा और गरीबी जैसे हालात भारत को पीछे धकेल रहे थे |
अंग्रेजों से आजादी मिलने के 5 साल बाद भी देश की तस्वीर में कोई ज्यादा बदलाव नहीं आया था | इसके अलावा भारत को जबरन द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल किए जाने का भी खामियाजा भुगतना पड़ा था | द्वितीय विश्व युद्ध के चलते भारत को भारी मात्रा में जान और माल का नुकसान सहना पड़ा था | 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के बाद से ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए जाने की कवायद शुरू हो गई थी | पंडित नेहरू समेत देश के कई अन्य वरिष्ठ राजनेता भी लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने के पक्ष में थे | देश के राजनीतिक और सामाजिक हालातों को देखते हुए भारत में चुनाव की सख्त जरूरत थी |
लेकिन साल 1950 में बने चुनाव आयोग के लिए नियम और कायदे तैयार करने की मुश्किलें बरकरार थी | संविधान बनने के बाद ही चुनाव आयोग का गठन हो गया था, हालांकि इसे चलाने के लिए नियम और कायदों की जरूरत थी | ऐसे में भारत की तेज तर्रार आईसीएस अधिकारी रहे सुकुमार सेन को चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई | इस जिम्मेदारी के बाद सुकुमार सेन भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए, सुकुमार सेन ने चुनाव की तैयारियों के लिए जी तोड़ मेहनत की |
उस वक्त लोकसभा चुनाव के साथ ही कुछ राज्यों की विधानसभाओं में भी चुनाव होने थे | उस वक्त भारत की आबादी करीब 36 करोड़ थी, जिसमे लगभग 17 करोड लोग वयस्क मतदाता थे | चुनाव आयुक्त रहे सुकुमार सेन ने देश की जनसंख्या का आंकड़ा इकट्ठा किया और मतदाता सूची बनाई | चुनाव आयोग को आंकड़े जुटाने में काफी समस्याएं भी आयी | चुनाव अधिकारियों के मुताबिक बिहार, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान में मतदाता सूची बनाने में उन्हें सबसे ज्यादा मुश्किल मालूम हुई | जरसल इन राज्यों कि ग्रामीण महिलाएं किसी बाहरी व्यक्ति को अपना नाम बताने से कतराती थी | इस वजह से इन राज्यों की करीब 2800000 महिलाओं ने अपने नाम नहीं बताए और वह चुनाव में शामिल नहीं हो सकी |
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भारत के पहले चुनाव के दौरान अशिक्षा सबसे बड़ी समस्या थी | उस वक्त करीब 15 फीसदी भारतीय ही शिक्षित थे | ज्यादातर मतदाता किसी उमीदवार का नाम पढ़कर वोट देने में सक्षम नहीं थे, चुनाव आयोग के सामने ये सबसे गंभीर समस्या थी | हालांकि चुनाव आयोग ने इस समस्या का हल ढूंढ लिया था | चुनाव आयोग ने हर पार्टी और उम्मीदवार के लिए एक निर्धारित रंग की मत पेटि तैयार की ताकि आम आदमी रंग और चुनाव चिन्ह के आधार पर उम्मीदवार की पहचान कर ले और वोट डाल सके |
चुनाव आयोग ने मतदान के लिए लगभग दो करोड़ लोहे की मत पेटियां भी बनवाई थी | लोकसभा के पहले चुनाव में मताधिकार का अधिकार 21 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को ही दिया गया था | आजाद भारत में पहली बार चुनाव होना था, दुनिया भर की निगाहें भारत के चुनाव पर टिकी हुई थी, साथ ही अमेरिका जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों के अधिकारी भी भारत में मौजूद थे | तमाम तैयारियों और दो बार चुनाव को खारिज किए जाने के बाद आखिरकार 25 अक्टूबर 1951 को मतदान शुरू हो गए | ये आजाद भारत का पहला चुनाव था, पहले लोकसभा चुनाव में करीब 4500 सीटों पर चुनाव हुए, जिसमें लोकसभा की 489 सीटों के अलावा अन्य राज्यों की विधानसभा सीटें शामिल थे |
पहली लोकसभा चुनाव के लिए लगभग 22000 से भी अधिक पोलिंग बूथ बनाएं गये ,चुनाव प्रक्रिया को समझाने और मतदान की जागरूकता के लिए चुनाव आयोग ने रेडियो और फिल्मों का सहारा लिया, चुनाव प्रक्रिया को समझाने के लिए एक डॉक्यूमेंट्री भी बनवाई थी | जिसे देश के करीब 3000 से अधिक क्षेत्रों में कई हफ्तों तक निशुल्क दिखाया गया | 25 अक्टूबर 1951 को शुरू हुआ मतदान फरवरी 1952 तक चला था | पहले आम चुनाव में लगभग 17 करोड़ पुरुषों और महिलाओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था |
53 राजनीतिक दलों के 1874 उम्मीदवारों ने पहली लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाइ थी | लोकसभा के पहले आम चुनाव में 14 राष्ट्रीय और बाकी क्षेत्रीय पार्टियां शामिल थी | लोकसभा के पहले आम चुनावों में शामिल रही पार्टियों में कांग्रेस, भारतीय जनसंघ पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा किसान मजदूर प्रजा पार्टी शामिल थी |
स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कांग्रेस पार्टी 489 में से कुल 364 सीटें जीतने में कामयाब रही थी | कांग्रेस को कुल वोटों में से करीब 45 फीसदी वोट मिला था | उस वक्त कांग्रेस की ओर से जवाहरलाल नेहरू,लाल बहादुर शास्त्री,और गुलजारीलाल नंदा जैसे नेता कांग्रेस के चुनाव प्रचार प्रसार में शामिल थे | पहले आम चुनाव में जवाहरलाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश की फूलपुर सीट से चुनाव लड़ा और भारी मतों से विजयी होकर भारत के पहले प्रधानमंत्री बने | 1952 का चुनाव पूरी दुनिया में लोकतंत्र के इतिहास के लिए मील का पत्थर साबित हुआ,आजाद हिंदुस्तान के पहले लोकसभा चुनाव में किसी भी कोने से हिंसा की कोई खबर नहीं आई और चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हो गया |
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